गांधी

सपने में गांधी जी आएँ, हमने पूछा, क्यूँ आते हैं ।

बोले, ग़ुस्सा मत हो भाई, हम पूरी बात बताते हैं ।

है ख़बर मिली मुझको ऐसी, कुछ कुत्ते झुंड बनाएँगे ।

जो लड़ते थे कल तक, अब वो सब मिलकर देश चलाएँगे ।

मैं बोला, बाबा, क्यूँ कुत्तों को नेता कह गलियाते हो ।

गठबंधन को गोली मारो, तुम देश में पूजे जाते हो ।

गांधी जी ग़ुस्साए थोड़ा, फिर बोले मक्खन मत मारो ।

तुमसे अच्छा था नाथूराम, उसके जैसा गोली मारो ।

फिर बोले, उसने भला किया जो मुझको गोली मारी थी ।

मैं नासमझी में पड़ा रहा, ये तो मेरी लाचारी थी ।

वरना ऐसी हालत में तो मैं खुद ही गोली खा लेता ।

मरने से पहले अपने जैसों को थोड़ा समझा लेता ।

बोले मेरा एक काम करो, जग में अपना कुछ नाम करो ।

हथियार उठा, इन नालायक़ लोगों का काम तमाम करो ।

मैं बोला, मुझसे ना होगा, मैं खुदी अहिंसावादी हूँ ।

मैं नहीं चाहता लोग कहें की मैं कोई अपराधी हूँ ।

जाते जाते बोले, एक दिन तुम भी इनसे ऊब जाओगे ।

इनके फेरे में लोगों को जब राह भटकता पाओगे ।

विश्वास मुझे है ऐसा की तुम इनको सबक़ सिखाओगे ।